सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, भारत के पास शानदार कानून है, लेकिन सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून होते हुए भी उसे सही ढंग से लागू करने की है।
नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि शीर्ष अदालत, केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम आदेशों के बावजूद देशभर में आश्रय स्थलों (शेल्टर होम) का पंजीकरण नहीं हो सका है। पंजीकरण नहीं होने की वजह से आश्रय स्थलों में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा और मानव तस्करी की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, आश्रय स्थलों के पंजीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्र और राज्य सरकारों ने ढेरों आदेश दिए हैं, लेकिन अब तक देश में इनके पंजीकरण का काम अधूरा है और यही वजह से है कि शेल्टर होम में लगातार यौन हिंसा और मानव तस्करी की घटनाएं सामने आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक कुमार ने कहा कि वैकल्पिक देखभाल और संस्थानों में देखभाल की बेहतरी की ओर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमारे पास बच्चों की बेहतरी के लिए कानूनों की कमी नहीं है। सरकार की ओर विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि योजना जमीनी स्तर पर सही ढंग से काम कर रही हैं। सभी बच्चों को अपने वातावरण में पलने और बढ़ने का अधिकार है।